हाफ गर्लफ्रेंड
स्पोर्ट्स कोटा, पैट' प्रो परेरा ने कहा, 'यादव कहाँ है?" 'मैं यहाँ हूँ, सर मेरे पीछे से एक आवाज आई। मैंने पलटकर देखा तो पाया कि ट्रैकसूट पहने एक शख्स दरवाजे
पर खड़ा है। उनकी उम्र को देखकर लग रहा था कि वे स्टूडेंट तो नहीं हो सकते, लेकिन वे फैकल्टी भी नहीं लग रहे थे।
"ये 85 परसेंट तुम्हारा डिसीजन है, ' प्रो परेरा ने कहा।
'नो वे सर, फाइनल अथॉरिटी तो आप ही हैं. वे प्रोफेसरों के पास जाकर बैठ गए। पीयूष यादव कॉलेज के
स्पोर्ट्स कोच थे और स्पोर्ट्स कोटा के सभी इंटरव्यू में बैठते थे। वे प्रोफेसरों की तुलना में अधिक सहज और मित्रतापूर्ण लग रहे थे। उनका लहजा भी कोई बहुत फँसी नहीं था।
'बास्केटबॉल प्रो. फर्नांडीस ने मेरी फाइलों को पलटते हुए पूछा। 'येस, सर, मैंने कहा
"व्हाट लेवल""
'स्टेट।'
'तुम पूरे सेंटसेस बोल पाते हो या नहीं?" प्रो. गुप्ता ने सख्त आवाज पूछा।
मैं उनका सवाल ठीक से समझ नहीं सका। मैं चुप रहा। 'डु यू"" उन्होंने फिर पूछा।
'येस, बेस, ' मैंने कहा। मेरी आवाज दोषियों सरीखी लग रही थी।
'सो... तुम सेंट स्टीफेंस में क्यों पड़ना चाहते हो?"
कुछ पल चुप्पी छाई रही। कमरे में बैठे चारों व्यक्ति मुझे देखते रहे। प्रोफेसर ने मुझसे एक स्टैंडर्ड वेश्चन पूछा
था।
"आई बांट गुड कॉलेज, मैंने मन ही मन अपने दिमाग में वाक्य जमाते हुए कहा। प्रो. गुप्ता ने खीसें निपोर दी। 'वाह क्या जवाब है और सेंट स्टीफेंस एक गुड कॉलेज क्यों है?" मैं हिंदी बोलने लगा। इंग्लिश में जबाब देने के लिए मुझे रुक-रुककर बोलना पड़ता और इससे में उन लोगों को
स्टुपिड लगता। शायद मैं सचमुच स्टुपिड ही था, लेकिन मैं नहीं चाहता था कि उन्हें यह बात पता चले।
'आपके कॉलेज का बड़ा नाम है। यह बिहार में भी फेमस है, मैंने कहा। कैन यू प्लीज सर इन इंग्लिश प्रो. गुप्ता ने कहा।
'क्यों? क्या आपको हिंदी नहीं आती? 'मैंने फौरन हिंदी में जवाब दिया।
उनके चेहरों को देखकर मैं समझ गया कि मैंने कितनी बड़ी भूल कर दी है। मैंने यह बात उनका अपमान के मकसद से नहीं कही थी। मैं सचमुच यह जानना चाह रहा था कि जब मैं हिंदी बोलने में ज्यादा कंफर्टेबल है तो वे
करने मेरा इंटरव्यू इंग्लिश में क्यों करना चाह रहे हैं। जाहिर है, तब मुझे यह नहीं पता था कि सेंट स्टीफेंस के प्रोफेसर यह
पसंद नहीं करते कि उन्हें हिंदी बोलने को कहा जाए। 'प्रो परेरा, यह कैंडिडेट इंटरव्यू देने कैसे चला आया? प्रो. गुप्ता ने कहा।
प्रो. परेरा उन तीनों में से सबसे उदार लग रहे थे। उन्होंने मुझसे मुखातिब होते हुए कहा, 'हम अपने कॉलेज में इंग्लिश को इंस्ट्रक्शन के मीडियम के रूप में प्रिफर करते हैं। बस इतनी ही बात है।
इंग्लिश के बिना मैं खुद को नंगा महसूस कर रहा था। मैं बिहार के अपने रिटर्न टिकट के बारे में सोचने लगा। मेरा इस दुनिया से कोई सरोकार नहीं हो सकता था। इंग्लिश बोलने वाले ये खूंखार लोग मुझे कच्चा चबा सकते थे। मैं
सोच रहा था कि इन लोगों को अलविदा कहने का सबसे अच्छा तरीका क्या हो सकता है कि तभी पीयूष यादव ने मेरी सोच में खलल डाला। 'बिहार से हो?' उन्होंने पूछा।
हिंदी में कहे गए ये चंद शब्द मुझे तपती धरती पर बारिश की ठंडी बूंदों की तरह लगे। उस पल मुझे पीयूष
यादव बहुत अच्छे लगने लगे थे। 'येस सर। सिमराँव से।"
पता है। यह पटना से तीन घंटे की दूरी पर है ना? उन्होंने कहा।
"आप सिमराव को जानते हैं?" मैंने कहा। मेरा जी चाह रहा था कि मैं उनके कदम चूम लूँ। लेकिन इंग्लिश
बोलने वाले वे तीन खूंखार प्राणी मुझे घूरते रहे।
'मैं पटना से है। एनीवे इन लोगों को बॉस्केटबॉल में अपनी अचीवमेंट्स के बारे में बताओ, पीयूष ने कहा।
मैंने सिर हिला दिया। पीयूष मेरी नबसनेस को भाँप गए और फिर बोलने लगे, 'टेक योर टाइम में भी हिंदी- तीनों प्रोफेसर पीयूष की तरफ देखते रहे, मानो सोच रहे हों कि इसको कॉलेज में नौकरी कैसे मिल गई।
मीडियम है. इसलिए तुम्हारी परेशानी समझ सकता हूँ।"
मैंने खुद को संभाला और वे पंक्तियाँ बोलने लगा, जिनकी मैं रिहर्सल करके आया था।